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सपना / अर्चना पाठक
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नदिया के तीर मा, लीम के छैहा मा,
झूलथे सपना हो
पंछी परेवा कस, फुदुक फुदुक सपना
डोंगरी ले पांखी पसारत सपना
अमराई, बारी मा, कुकत सपना
पस्सा के फूल अइसन, चटक रंग सपना
आमा के डारी मा, मौर मौरा गे
महकावथे सपना हो
नदिया के .................
सोंध सोंध माटी के गंध असन सपना
बदरा संग बूंद मा छरियावत सपना
धरती के अंचरा कस हरियर सपना
लहलहात सोन अइसन, धान के सपना
खेत अऊ बारी मा, लीम के डारी मा
उलहथे सपना हो..........
नदिया के तीर...................