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सपना / लैंग्स्टन ह्यूज़ / यादवेन्द्र
Kavita Kosh से
एक सपने को टालते रहने से क्या होता है?
क्या वह सूख जाता है
किशमिश-सा धूप में?
या ज़ख़्म-सा पक जाता है
और फिर रिसा करता है?
या बदबू करता है
सड़े हुए गोश्त-सा?
या कि पगी हुई मिठाई की तरह
उस पर चीनी की पपड़ी जम जाती है?
मुमकिन है वह सिर्फ़ लद जाता हो
भारी बोझ जैसा?
कहीं वह बारूद-सा फट तो नहीं पड़ता?
अँग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र