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सपने-6 / सुरेश सेन निशांत
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लोहे के खम्भों पर फैली इन तारों में
फटी पतंग-सी
फड़फड़ा रही हैं उनकी इच्छाएँ
जो चाहते थे मारना
अपनी तमाम कोशिशों में
लोगों की आँखों में
पलने वाले स्वप्न