भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सपने-6 / सुरेश सेन नि‍शांत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोहे के खम्भों पर फैली इन तारों में
फटी पतंग-सी
फड़फड़ा रही हैं उनकी इच्छाएँ

जो चाहते थे मारना
अपनी तमाम कोशिशों में

लोगों की आँखों में
पलने वाले स्वप्न