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सपने और प्रेम-१ / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
किसी ने कहा
सपनों का मर जाना खतरनाक है
तुमने कहा - प्रेम करना
मैं करती रही प्रेम
बिना जाने तुम्हारा मन
मैंने कोशिश की जितनी
पास आने की
उतने ही दूर हुए तुम
तुमने बढ़ाई दूरी जितनी
करीब हुई मैं
तुम जग रहे थे
इसलिए नहीं देख सके सपना
मैं सपने में थी
जग न सकी
दोनों ने नहीं जाना वह
जो जानना कभी खतरनाक नहीं होता