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सपने और प्रेम-५ / रंजना जायसवाल
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रात भर महकती है रातरानी
झरते हैं हरसिंगार
पलते हैं दाने छीमियों में
सीपी के मन में उमड़ता है सागर
होता है जन्म
एक नये दिन का