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सपने केवल उन लोगों के सच होते हैं / राकेश जोशी
Kavita Kosh से
सपने केवल उन लोगों के सच होते हैं
जो सपने भी सपनों जैसे संजोते हैं
सब बच्चों को चप्पल देना अगर कठिन है
हम धरती पर इतने कांटे क्यों बोते हैं
महल में रहने की ख्वाहिश सबकी होती है
कुछ लोग हमेशा महल के पत्थर क्यों ढोते हैं
जिनको सपनों में अक्सर रोटी दिखती है
बैल उन्हीं लोगों ने खेतों में जोते हैं
तेरे शहर की बातें तो अब तू जाने
मेरे शहर के लोग तो सड़कों पर सोते हैं
तू जो भी करता है सब अच्छा करता है
फिर भी सारे लोग परेशां क्यों होते हैं
मन इतना खोया-खोया-सा क्यों रहता है
सब कुछ पाकर भी क्यों अक्सर हम रोते हैं