सपने / यूलिया मोरकिना / अनिल जनविजय
कुछ पूछने की हिम्मत नहीं होती ... कोई चाहत भी नहीं है ...
मेरे पास, बस, इतना ही है : कि मैं उड़ान भर सकता हूँ छोटी - सी
अपने इन विचारों को लेकर ही : मैं कोई सपना देख रहा हूँ।
कभी – कोमल सा कुछ, कभी – एक पक्षी की उड़ान...
कभी-कभी – छायादार पेड़ दिखाई देते हैं,
न, कोई विचार नहीं होता, न होता है कोई रिश्ता
किसी चीज़ के लिए... कभी-कभी ऐसा होता है
कभी किसी अजनबी प्रकाश का अजीब सा प्रतिबिम्ब होता है वह ।
मुझे सपने में कुछ दिखाई दे रहा है : उसका क्या करूँ मैं ?
सदियों की आँखों में जैसे कोई बिजली - सी कौंध रही है।
2021
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
—
अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Юлия Моркина
СНЫ
Просить – не смею… Желать – не знаю…
Всё, чем владею: слегка летаю
Под эти мысли: мне что-то снится.
Порою – нежность, порою – птица…
Порою это – растений тени,
Без своемыслий, без отношений
К чему-бы либо… Порою – это
Лишь странный отблик чужого света.
Мне что-то снится: что делать с этим?
И бьет зарница в глаза столетий.
2021