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सपनों की धरा / निदा नवाज़
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सपनों की धरा
सपनों का गगन
कुछ न्यारे तारे दे दो ना
विश्वास की बदली छा जाए
प्रेम की वर्षा दे दो ना
रिमझिम वर्षा की कोख में फिर
यह तन भीगे
यह मन भीगे
और चाँद मेरी बांहों में यगे
फिर मौन ही मौन तुम दे दो ना
आशा की चंचल किरणें
हमको साथ-साथ पिघलाए ना
मैं चंदा में
और वह मुझ में
फिर घुलमिल-घुलमिल जाए ना
और पत्थर बनकर हम दोनों
एक प्रतिमाँ में ढल जाए ना
सपनों की धरा
सपनों का गगन
कुछ न्यारे तारे दे दो ना.