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सपनों में ही तुम मिलते हो / गरिमा सक्सेना

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नैना तकते राह नींद की
सपनों में ही तुम मिलते हो

टूटे बिखरे आधे सपने
पूर्ण करूं सपनों में जाकर
कुछ पल को ही सही ये मगर
पाऊँ खुद को तुममें खोकर
करे सुवासित जो अंतरमन
रजनीगंधा-सा खिलते हो

ओस बूँद का जीवन जैसे
धूप नरम रहने तक बाकी
साथ तुम्हारा मेरा वैसे
सिर्फ भरम रहने तक बाकी
भरम टूटने पर भी मन में
'लेकिन पल-पल तुम पलते हो'

सिरहाने पर तुम सी खुशबू
मिलती है जाने अनजाने
गीला तकिया, भीगी पलकें
चाहें प्यार भरे अफसाने
भावों के उमड़े बादल से
तुम आँसू बनकर झरते हो