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सपेरा / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सांप दिखाता गली गली।
अपना वह अब्बास अली॥
कैसा अजब सपेरा है।
सब पर जादू फेरा है॥
बीन बजाता है इठलाता।
खोल पिटारा दिखलाता॥
सांप देख हम डर जाते।
बस चुपके से घर जाते॥