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सप्तपदी / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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पहिल चरण चलइछ सङ इच्छा एक
दोसर पदेँ ससंगत कर्मक टेक
तेसर डेग उठाबी वचन समान
चारिम यदि युगपद विचार अनुमान
पाँचम मनसा तुलित कलित कल्यान
छठमहृदय स्पदित हो एक प्रमान
सातम दुइ तन मिलित समन्वित प्राण
सप्तपदी सप्त - व्याहृतिक वितान
परिणत परिणय प्रणय प्रणव प्रणिधान
शब्द-अर्थ, जल लहरि न पृथक् निदान