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सप्तसिन्धु / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

क्षीरोदधि लवणोदधि भेदेँ सिन्धु सलिल सतरंग
एक विश्व-सागर प्रणवक जनु व्याहृति सप्तक अंग
अथवा सिन्धु पश्चिमा सीमा नद पचांबु समेत
व्यास - सरस्वति सहित पुरातन सप्तसिन्धु समवेत
किंवा यमुना गंगाधारा प्राची दिशा बहैत
पंच सरित भगिनी परिकरमा पच्छिम, सात बहैत
अथवा गंगा-यमुना सरयू गंडकि सोन उदार
कोशी पùा सहित सप्त जल पहुँचय सिन्धुक द्वार
वा उत्तर खण्डक गिरिकुण्डक सप्त गंग शुचि नीर
गोदा कृष्णा तापति, नार्मद तम्रलुक दक्षिण तीर
सप्तसिन्धु जत सिंचित धरनी कनहु न अपन अवंच
कतबहु कुटिल समस्या जटिलहु सहल उर्वरे अन्त
सप्त मृत्तिका, सप्त मातृका, सप्त भुवन, स्वर सात
सप्तधातु, सप्ताश्व, सप्त नगरी, व्याहृति संख्यात
सप्तरथी, सप्तांग सैन्य, श्रुत सात सकार-तकार
सप्तशती दुर्गा गीता सप्ताह सुनिअ शुचिसार