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सप्त बालचन्द्री आयस पुल राजघाट का / त्रिलोचन
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सप्त बालचन्द्री आयस पुल राजघाट का
सात फलांगों में गंगा को पार कर गया ।
नम्र बालचन्द्रों में स्तम्भन-शक्ति भर गया,
सरल स्तम्भ-क्रम जिस पर संगत कर्ण-ठाट का
दुहरा टेक लगा है कटि पर और काट का
प्रखर वेग देखता रहा है । तेज झर गया,
अद्रिभेदनी, धारा का आह्वान स्वर गया ।
यह मनुष्य का विजय-चिह्न है नये पाट का,
भीतर पट-विहीन चौखटे समानान्तर क्रम,
क्रमश: छोटे, दूर छोर पर बिल्कुल छोटे
आँखों को प्रतिभात हुए, पर आते जाते
मिला परीक्षक को कब कुछ शिल्प का असंयम ।
प्रत्यवरोहारोह के मिले निश्चित जोटे ।
देखा, व्योम, धरा, सुरसरि को उपदा लाते ।