भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सफलता का गीत / रमेश ऋतंभर
Kavita Kosh से
आप क्यों जायेंगे पहाड़ पर
आप तो दिल्ली जायेंगे श्रीमान्!
दिल्ली में पैसा है
पद है
यश है
प्रतिष्ठा है
पहाड़ पर आपको क्या मिलेगा श्रीमान्?
पहाड़ पर सिर्फ़ पत्थर हैं
सिर्फ झरने हैं
सिर्फ फूल हैं
सिर्फ तितलियाँ हैं
वहाँ कहाँ आपको कुरलॉन का गद्दा बिछा मिलेगा श्रीमान्?
दिल्ली में संसद है
सरकार है
अकादमी है
दरबार है
पहाड़ पर आपको क्या मिलेगा श्रीमान्?
पहाड़ तो आपको हौले-से थपथपायेंगे
कानों में आपको संगीत सुनायेंगे
आपकी उदासी को दूर भगायेंगे
जीने का आपको मर्म सिखायेंगे
दिल्ली में क्या, दिल्ली में आपको
दौड़-धक्का मिलेगा
इज्ज़त के पीछे कुरता फटेगा
सफलता के पीछे का सच दिखेगा
पर आप दिल्ली ही जायेंगे श्रीमान्!
दुनिया में आपको सफल जो होना है श्रीमान्!