भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सफ़र दुश्वार कर दोगे फलाने / दीपक शर्मा 'दीप'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सफ़र दुश्वार कर दोगे फलाने
बहुत बीमार कर दोगे फलाने?

हमारा ज़ख़्म देखो भर रहा है
ज़रा-सा वार कर दोगे फलाने?

चुरा के जा रहे हो दिल हमारा
मगर, बे-कार कर दोगे फलाने!

तुम्हें मौका नहीं हासिल वगर्ना
ग़बन सौ-बार कर दोगे फलाने

न आयेंगे कभी भी भूलकर के
अगर उस पार कर दोगे फलाने

तलब सी है हमें बदनामियों की
कहो!अख़बार कर दोगे फलाने?

मुहाजिर हैं अभी तो दर-बदर हैं
दर-ओ-दीवार कर दोगे फलाने?