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सफ़र में पहले हंगामा पड़ेगा / नवीन जोशी
Kavita Kosh से
सफ़र में पहले हंगामा पड़ेगा,
फिर उसके बा'द सन्नाटा पड़ेगा।
हर इक मंज़िल यक़ीं का इम्तिहाँ है,
हर इक रस्ते पे दोराहा पड़ेगा।
जो क़ीमत है चुकानी तो पड़ेगी,
मगर सच झूट से सस्ता पड़ेगा।
किसी को जब हो साए की ज़रूरत,
किसी को धूप में जलना पड़ेगा।
अगर माँगेगा तू तो मुफ़्त है प्यार,
ख़रीदेगा तो फिर महँगा पड़ेगा।
कहा था वक़्त को आने पे तेरे,
तेरे जाने तलक रुकना पड़ेगा।
कहीं सुलझा न ले मेरी ख़मोशी,
उसे बातों में उलझाना पड़ेगा।