भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सफ़र से रिश्ता / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
टूटे नहीं
जिन्दगी का
सफ़र से रिश्ता
पाँव की जो धूल
उसका भी बड़ा दर्जा
आओ बनायें रास्ते
बेहतरी के वास्ते
जिस पर
हवा भी डोले तो
आराम से
एक पत्थर
ठोकरें देता
पर, दूसरा
पक्की सड़क बनता
एक काँटा
पॉव में चुभता
पर, दूसरा
रक्षा में होता
जंगलों के बीच से भी
निकल आते रास्ते
कालिमा को चीरकर
जैसे किरन फूटे