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सफ़र से लौट जाना चाहता है / शकील जमाली
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सफ़र से लौट जाना चाहता है
परिंदा आशियाना चाहता है
कोई स्कूल की घंटी बजा दे
ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है
उसे रिश्ते थमा देती है दुनिया
जो दो पैसे कमाना चाहता है
यहाँ साँसों के लाले पड़ रहे हैं
वो पागल ज़हर खाना चाहता है
जिसे भी डूबना हो डूब जाए
समंदर सूख जाना चाहता है
हमारा हक़ रक्खा है जिस ने
सुना है हज को जाना चाहता है