सफ़ेद पत्थर पर काला पत्थर / सेसर वाय्येख़ो / असद ज़ैदी
मैं पेरिस में मरूँगा मूसलाधार बारिश के दरम्यान,
उस दिन जो अभी से मेरी स्मृति में क़ैद है,
मैं पेरिस में मरूँगा — यह कहने में मुझे उज़्र नहीं —
आज की तरह बृहस्पतिवार का दिन होगा और पतझड़ का मौसम ।
वह बृहस्पतिवार का दिन होगा, क्योंकि आज, बृहस्पतिवार के दिन, जबकि मैं
ये पंक्तियाँ लिख रहा हूँ, मैंने अपनी बाँह की हड्डियों को दुखी कर डाला है,
और, आज जीवन में पहली बार, मैंने अपनी पीठ मोड़ ली है,
जिस रास्ते पर मैं चल रहा था उस रास्ते के साथ, और मैंने पाया मैं हूँ निपट अकेला ।
सेसर वाय्येख़ो मर गया; वे उसे पीटते रहे पीटते
हरेक ने पीटा, जबकि वह किसी का कुछ नहीं बिगाड़ता,
उन्होंने उसे ज़ोर से मारा डण्डे से और ज़ोर से मारा
रस्सी से भी; चशमदीद गवाह हैं
सारे बृहस्पतिवार और बाँह की हड्डियाँ,
अकेलापन, बारिश, सड़कें…
(हिन्दी में यह अनुवाद रॉबर्ट ब्लाइ और रेबेका साइफ़र्ली के अँग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित)
अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी
लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
César Vallejo
Black Stone on a White Stone
I will die in Paris with a rainstorm,
on a day I already remember,
I will die in Paris—and I don't shy away—
perhaps on a Thursday, as today is, in autumn.
It will be Thursday, because today, Thursday, as I prose
these lines, I've put on my humeri in a bad mood,
and, today like never before, I've turned back,
with all of my road, to see myself alone.
César Vallejo has died; they kept hitting him,
everyone, even though he does nothing to them,
they gave it to him hard with a club and hard
also with a rope; witnesses are
the Thursday days and the humerus bones,
the solitude, the rain, the roads. . .
Translated by Rebecca Seiferle