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सबके दिल में ग़म होता है / इरशाद खान सिकंदर

सबके दिल में ग़म होता है
सिर्फ़ ज़ियादा कम होता है

चोट लगे तो रोकर देखो
आंसू भी मरहम होता है

ख़त लिखता हूँ जब जब उसको
तब तब काग़ज़ नम होता है

ख़ामोशी के अंदर देखो
शोर सा इक हरदम होता है
 
गहराई से सोच के देखो
शोला भी शबनम होता है