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सबक सभी ने तशद्दुद के भी रटे होंगे / रंजना वर्मा
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सबक सभी ने तशद्दुद के भी रटे होंगे
यहीं कहीं पे परिंदों के पर कटे होंगे
न सच दिनसुना है किसी ने न कह रहा है कोई
कि गिरहबान सभी झूठ से फटे होंगे
बहुत कहा औ लालचें भी बहुत दी होंगी
मगर न लोग वे ईमान से हटे होंगे
तरफ से दोनों कोशिशें बहुत हुई होंगी
तभी तो बीच के ये फ़ासले घटे होंगे
रहे मुहब्बत का' ये भी तो' एक है पहलू
बड़ी मुश्किल से अब्रे हिज्र ये छँटे होंगे
वतन परस्त सरहदों पे काटते हैं उमर
बड़े ख़लूस हौसलों से वे डंटे होंगे
ये जिंदगी कभी ख्वाबों का सिलसिला होगी
हसीं लबों से तबस्सुम भी तो सटे होंगे