भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सबदां रै मारफत / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

केई सवाल एङा ई हुवै
जकां रै जबाब रो
कोनी हुवै ठिकाणे
ए सवाल टंग्योङा है
स्रिस्टी में जुग-जुगां सूं।

स्यात
सवाल रचणियां नै
फगत सवाल सुं मतळब हुवै
जबाब सुं हुवै ई नीं सरोकार।

इण रो मतळब ओ कोनी
कै जबाब सोधीज्या ई कोनी
अलेखूं लोग
आपरी जूण खपाई है
पडुत्तर री खोज-पङताल में
अबै आ बात बीजी है
कै उणरौ उथळो लाध्यो कोनी
अर सवाल अजलग ऊभा है
मानखै सामीं
ललकारता - बकारता
पण जद सवाल है तो
जबाब अवस हुवैला
कठै न कठैई।

आवो आपां सोधां
सबदां अदीठ नै !