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सबद अमरित !/ कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
लिखारा !
मती बणा
कलम नै
भोगी रसियै री बंसरी
निलजै चितैरै री कूंची
आ तो है
सुरसत मां री
संजीवणी जड़ी,
परगासै आतमा री जोत
मेटै जिनगानी रो दुंद
ओळख ईं री खिमता
ससती रागळ्यां‘र
थूळ बिंबां मे मती गमा
ईं री नोक स्यूं झरतो
सबद रो अमरित !