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सबद खोजू / चंद्रप्रकाश देवल
Kavita Kosh से
औ जिकौ घण-बोलौ है
बड-बोलौ कोनीं
कवि है, बावळौ कोनीं
औ जिकौ झिकाळ करै
बोलौ-बोलौ
अेकलौ बड़बड़ावै वेळा-कुवेळा
अेकूका सबद नै उणरी खाल सूं अपड़
आंख रै अैन पासै ले जावै
ऊपर-नीचै सूं परखै
कदैई-कदैई सूंघै अर चाखै
सपना में ई लारौ करै
भूतिया ज्यूं उडता डोलता सबदां रौ
औ करै तपास पोथ्यां में
लोगां री वाचा में
लुगायां रै गीतां वाळी भासा में
बावळौ है, कवि है
जिकौ बिखा में खुरदरा
अर सुख सारू सुंवाळा हेरै
चिड़कली रै उनमांन तिणकलौ-तिणकलौ भेळौ करै
इण रै किस्यौ गुंवाळौ घालणौ है
अर घालै तौ ई इणरै किस्यां ईंडा देवणा है?
म्हनै ठाह है
औ आं सबदां में रोवैला
छीजैला, कळपैला
अबै इण मत बायरा नै बुण समझावै
के जिका समझदार स्यांणा व्है
वै गुन्ना व्है।