सबल के मार / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

केतना दिन
घुट घुट के प्राण घसीटबा?
केतना दिन
ई पेट डेंगैबा
अउ छाती पिटबा?
जल्दी जल्दी जुटो,
अदना सब लूट लेतो
अपना में नै फूटो
तों अपने में फूटऽ हा
जातिये जात के लूटऽ हा
तब तोरा के बतैतो?
जेकरा मौका लगतै
दुस्मन बनके तोरा सतैतो
रात में
बिजली जरैत देखऽ हा?
कीड़ा-मकौड़ा के मरैत देखऽ हा?
देखऽ होवा
छोटका से बड़का तक कीड़ा,
नीचे में
बिलैया कैसन कर रहल क्रीडा
कुतबो के देखो
कैसन सिकारी हे,
ओकरा पता कि
घर में बिलाड़ी हे
है तो कुल
लेकिन केकरा के खा हे
इहे होसियारी हे
अब देखो,
प्रकाश से केकरे नै नाता हे
सब है उडंत गड़ंत
सब पीता खाता हे
बड़का कीड़ा
छोटका के
टप सा निगल जा हे
और बड़का
बिलैया के पेट में गल जा हे
बिलैया जब खा के
निकलऽ हे बाहर
मिल जा है
दुअरिये पर
कुत्ता सिंह नाहर
बिलैया के मुँह
जब पकड़ के झोलऽ हे
दीपक अर पतंगा के
पोल तब खोलऽ हे-
कि दीया के
पतंगा से प्यारा कहाँ होबऽ हे?
सबल के दुखल पर
मार यहाँ होबऽ हे।

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