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सबसें बड़ोॅ मनुख छौं सबके आगू में तों झुकलेॅ जो / अमरेन्द्र

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सबसें बड़ोॅ मनुख छौं सबके आगू में तों झुकलेॅ जो
दीवारे पर खाली नै ई बात दिलोॅ पर लिखलेॅ जो
है घनघोर बियाबानोॅ में मलकी मलकी चाल चलें
के बतलैलकौ तोरा कि सुस्तैने रुकलेॅ रुकलेॅ जो
हैंकड़ी सबठो निकली जैतौ समय कुसमय पतै नै छौ
रोग निमुनियाँ धरतै केकरा इखनी भिजलेॅ तितलेॅ जो
देखै नै छैं रामे इखनी भजन करै छै रावण रोॅ
जानोॅ रोॅ रक्षा जो चाहैं तेॅ रावण केॅ भजलेॅ जो
बननै छी तेॅ गोरी रोॅ गालोॅ पर छोटोॅ तिलवा बन
है कि सबके धौनोॅ पर तों गूरे नांखी दुखलेॅ जो
वाह रे राजा अपनोॅ प्यासोॅ में अंगूरे के सिरका
हम्में प्यास मरौं तेॅ तोहें हमरोॅ मूँ में मुतलेॅ जो
कोय सुनबैया या जगबैया आबेॅ नै रहलौ अमरेन
गजल कहें या गीदरे नाँखी देर रात तक भुकलॅे जो

-30.4.92