ग़रीबों की लाशों से गुज़रता हूँ
उनके परिजनों से बात कर
उनके अतीत की करता हूँ पड़ताल
उनके कार्यस्थल पर जाकर पूछता हूँ
उनकी ख़ामियाँ और ख़ासियतें
पढ़ता हूँ अस्पतालों में जाकर
उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट !
हर बार मैं पाता हूँ
‘ईमानदारी और शराफ़त को
इक्कीसवीं सदी की सबसे
घातक और जानलेवा बीमारी’