सबसे बड़ी सफलता सबसे बड़ी कमाई
विश्वास के सहारे मंज़िल है पास आई।
मिलने की जो तमन्ना वर्षों से पल रही थी
आया समय तो सचमुच, खुशियाँ तमाम लाई।
किस्से सुने हजारों, अनगिन सुनी कहानी
मिलने की रब ने कैसी यह रीत है बनाई।
मिलता क़वल नहीं कुछ तय वक़्त, भाग्य, पौरुष
जीवन-दिशा बदलते मिलती यहाँ खुदाई।
तुम भी भटक रही थी मैं भी बहुत था ग़ाफिल
जब वक़्त आ गया तो जीवन-बहार छाई।
हम एक हो चुके हैं मंज़िल भी एक अपनी
कविता, ग़ज़ल, रुबाई साहित्य की दुहाई।