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सबा वीराँ / नून मीम राशिद
Kavita Kosh से
सुलेमाँ सर-ब-ज़ानो और सबा वीराँ
सबा वीराँ सबा आसेब का मस्कन
सबा आलाम का अम्बार-ए-बे-पायाँ !
गया ओ सब्ज़ा ओ गुल से जहाँ ख़ाली
हवाएँ तिश्ना-ए-बाराँ
तुयूर इस दश्त के मिनक़ार-ए-जे़र-ए-पर
तू सुरमा वर गुलों इंसाँ
सुलेमाँ सर-ब-ज़ान तुर्श-रू ग़म-गीं परेशां-मू
जहाँ-गिरी जहाँ-बानी फ़कत तर्रार-ए-आहू
मोहब्बत शोला-ए-पर्रां हवस बू-ए-गुल-ए-बे-बू
ज़-राज़-ए-दहर कम-तर गो !
सबा वीरान के अब तक इस ज़मीन पर हैं
किसी अय्यार के ग़ारत-गरों के नक़्-ए-पा बाक़ी
सबा बाक़ी न महरू-ए-सबा बाक़ी !
सुलेमाँ सर ब-ज़ानू
अब कहाँ से क़ासिद-ए-फ़र्खंदा-पय आए ?
कहाँ से किस सुबू से कास-ए-पीरी में मय आए ?