भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सब्ज़ बागों के फ़रेबात के सिवा क्या है / विनय कुमार
Kavita Kosh से
सब्ज़ बागों के फ़रेबात के सिवा क्या है
आपके शहर के हालत में हरा क्या है।
ग़ैर के खून में उंगली डुबाये बैठे हैं
चंद लफ़्ज़ों के सिवा सुर्ख़ आपका क्या है।
चोर के पांव सिपाही की तरह लगते हैं
रास्ते पूछ रहे हैं कि रास्ता क्या है।
मैं अभी तुमसे मुखातिब हूँ बताओ क्या हो
ख़ुदा मिलेगा तो पूछूंगा कि ख़ुदा क्या है।
सवाल आग से पूछा था क्या जलाते हो
जवाब राख से आया है कि जला क्या है।