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सब की आँखों में नीर छोड़ गए / जहीर कुरैशी
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सब की आँखों में नीर छोड़ गए
जाने वाले शरीर छोड़ गए
राह भी याद रख नहीं पाई
क्या कहाँ राहगीर छोड़ गए
लग रहे हैं सही निशाने पर
वो जो व्यंगों के तीर छोड़ गए
हीर का शील भंग होते ही
रांझे अस्मत पे चीर छोड़ गए
एक रुपया दिया था दाता ने
सौ दुआएं फ़क़ीर छोड़ गए
उस पे क़बज़ा है काले नागों का
दान जो दान-वीर छोड़ गए
हम विरासत न रख सके क़ायम
जो विरासत कबीर छोड़ गए