भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सब कुछ कह देने के बाद / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


और अंत में
मैं एक बार फि र
कहना चाहता हूं
वही बात
जो सबसे पहले कही थी।

सब कुछ कह देने के बाद
वह बात
हमारे इस अनंत संवाद की
फि र से शुरुआत होगी।

भले ही
दोहराना पड़े शब्दों को
मगर बात जारी रखने के लिए
जरूरी है
यह सिलसिला।