सब कुछ पूछो, हाल न पूछो।
आँखें हैं क्यों लाल, न पूछो।।
जो सच को बेपरदा कर दे,
ऐसे कठिन सवाल न पूछो।।
उनसे दिल का राज कह दिया,
फिर जो हुआ बवाल न पूछो।।
लाखों की ख्वाहिश जब रोटी,
क्यों कुछ को तर माल न पूछो।।
कैसे रहते, क्या-क्या सहते,
बीते सत्तर साल, न पूछो।।
जन सेवा में ऐसा क्या जो,
करती मालामाल, न पूछो।।
भाई की आँखों में भी क्या,
‘मृदुल’ सुअर का बाल न पूछो।।