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सब को छाव दिखाना मत / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
सब को छाव दिखाना मत।
अपना रौब जमाना मत।
जब माँगे प्यासा पानी,
घन निष्ठुर बन जाना मत।
जब पूछे जनता सवाल,
नेताजी हकलाना मत।
हाथ आये गर दिया सलाई,
घर घर आग लगाना मत।
नाव चलानी तुझे मगर,
साहिल पर इतराना मत।
वो जब कहे नयी सुनाओ,
गायी ग़ज़ल सुनाना मत।
निर्दलीय तुम बने विधायक,
कर हरक्कत बचकाना मत।
पिता की सीख है, दौलत पर,
भाई-भाई लड़ जाना मत।