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सब जोश है उड़नछू सारा उफान गायब / अशोक अंजुम
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सब जोश है उड़नछू सारा उफान गायब
मेहमान आ चुके हैं पर मेजबान गायब
रक्षक जिन्हें बनाया जिन पर किया भरोसा
तुम माल पूछते हो पूरी दुकान गायब
लौटा हूं मैं सफर से हफ्तों के बाद घर में
देखे जो उनके तेवर सारी थकान गायब
कानून के शिकंजे से दोषी निकल भागा
जो मुझको बचा पाते वे ही बयान गायब
जादू चलाया उन पर शहरों की चमक ने यूं
गांवों से लगे होने 'अंजुम' किसान गायब
जो देख न पाते थे सिस्टम की खामियों को
सिस्टम ने कर दी 'अंजुम' उनकी जुबान गायब
एटम बमों को लेकर बैठे हैं सभी बन्दर
कर दें न कहीं 'अंजुम' सारा जहान गायब