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सब तरफ़ से निराश लगता है / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
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सब तरफ़ से निराश लगता है
जिसको देखो हताश लगता है
हर घड़ी हादसा गुज़रता है
हर कोई बदहवास लगता है
जैसे उकता के कहकहाया हो
इस क़दर वो उदास लगता है
सुबह और शाम पेट भर जाए
अब तो ये भी विलास लगता है
अब वही रास्ता बनाएगा
वो जो पत्थर तराश लगता है