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सब तुम्हारा है / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’
Kavita Kosh से
मेरी आवाज़ दिल की धड़कन सब तुम्हारा है
ये बुढ़ापा – जवानी ये बचपन सब तुम्हारा है।
मेरा क्या था जो मेरे पास कुछ भी रहेगा
ये महल अटारी दौलत ये धन सब तुम्हारा है।
तुम्हारा – हमारा, ये नजारा, अपना कुछ नहीं
ये वन, उपवन ये सारा चमन, सब तुम्हारा है।
ये धरती – आकाश, चांद – सूरज, ये ग्रह – तारे
प्राण या आत्मा, जल अग्नि पवन, सब तुम्हारा है।
माया – ममता का जाल है, झूठा – सच्चा खेल
धर्म- कर्म,दुख – सुख,सकून – चैन ,सब तुम्हारा है।