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सब रो मन भावै शरद / मुकेश कुमार यादव

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हँसै शरद।
हँसावै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
चना रो साग।
खेसाड़ी रो साग।
साग-भात बाग-बाग।
सुहाबै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
शरद ऐलै।
कमाय ले गेलै।
खाय ले गेलै।
आरु अच्छा आय ले गेलै।
लोग ख़ूब कमाबै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
आचार-विचार।
अच्छा व्यवहार।
सुख शांति सदाचार।
भूलाबै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
दीन-दुःखी।
के सुखी?
चन्द्रमुखी।
रहै भूखी।
केना दुःख देखावै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
वर्षा रो पानी बहाय।
नदी तालाब सागर समाय।
आँखी सोहाय।
मन अघाय।
खूब नहाय।
औकताबै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
घरो में रहै।
हर दुःख दर्द सहै।
चुपचाप रहै।
कुछ नञ् कहै।
सुख दुःख बताबै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
बुखार ऐलै।
खूब सताय ले ऐलै।
मक्खी-मच्छर रात-दिन भगाय ले ऐलै।
चैन कभी नञ् आबै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
सपना देखलां।
अपना देखलां।
बैरी बन सजनवां देखलां।
याद बड़ी सतावै शरद।
सब रो मन भावै शरद।
प्यार से बोलै।
हौले-हौले।
अपना होलै।
दिल में बसलै।
सपना सजलै।
गदगद मन गावै शरद
सब रो मन भावै शरद।