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सब सुधरेगा लेकिन कब तक / हरि फ़ैज़ाबादी
Kavita Kosh से
सब सुधरेगा लेकिन कब तक
युग बदलेगा लेकिन कब तक
माना मुफ़लिस के बच्चे का
मन तरसेगा लेकिन कब तक
पेट दिया तो हल भी उसका
वो बख़्शेगा लेकिन कब तक
चलो पूछ लें रहबर मुश्किल
हल कर देगा लेकिन कब तक
अभी उम्र है अभी तुम्हारा
दिल मचलेगा लेकिन कब तक
चलो मान लें बिगड़ा उसका
पग सँभलेगा लेकिन कब तक
प्यासे जब तक हैं धरती से
जल निकलेगा लेकिन कब तक