भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सब से आगे / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


सबसे आगे

हम हैं

पाँव दुखाने में;

सबसे पीछे

हम हैं

पाँव पुजाने में ।

सब से ऊपर

हम हैं

व्योम झुकाने में;

सबसे नीचे

हम हैं

नींव उठाने में ।