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सभाओं के बाद / शहंशाह आलम

शहर में रोज़ सभाएं होती हैं इन दिनों
मरुस्थल के निकट पीले पत्तों के बीच

सभाओं में उन्हें अपनी ही कही बातों को
सत्य साबित करने की चिंता होती बस

हमें दुष्ट घोषित करते वे बार-बार
सभाओं में और सभास्थल से बाहर

यही समय है बिलकुल सही समय उनके लिए

वे सबसे मौलिक शैली में
असंख्य पक्षियों को मारते
असंख्य वृक्षों को काटते
असंख्य घरों को उजाड़ते
असंख्य तस्वीरों को फाड़ते

असंख्य-असंख्य शब्दों के साथ करते बलात्कार तन्मय

सभाओं के बाद अमात्य-महामात्य
मुस्काते हौले-हौले एकदम असामाजिक
उस पागल स्त्री के रुदन पर।