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सभी नदियों को पीने का यही अंजाम होता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र

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सभी नदियों को पीने का यही अंजाम होता है।
समंदर तृप्ति देने में सदा नाकाम होता है।

वो बाबा जो ठहरते हैं रईसों के ही घर हरदम,
उन्हीं का मोह माया त्याग दो पैगाम होता है।

सियासत इस तरह समझो, ये है वो नास्तिक जिसके,
ख़ुदा होंठों पे रहता है ज़ुबाँ पे राम होता है।

घमंडी नोट क्या समझेंगे खन-खन रेज़गारी की,
वो कहते हैं जिसे झगड़ा, यहाँ व्यायाम होता है।

यहाँ हुक्काम जनसेवा कभी करते थे पर अब तो,
कमाना, चमचई, जुल्म-ओ-सितम ही काम होता है।