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सभी मौन हैं गुनगुनाए न कोई / सूर्यपाल सिंह

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सभी मौन हैं गुनगुनाए न कोई।
नए ओज के गीत गाए न कोई।

कहीं पर न कोई सुआ बोलता है?
सभी हैं डरे सच बताए न कोई।

बड़े हाथ जिनके नियम से परे वेे,
सही पाठ उनको पढ़ाए न कोई।

यहाँ हथकड़ी है, पुलिस है, कचहरी,
बिना दक्षिणा राह पाए न कोई।

विवष जो उन्हीं के लिए सब नियम हैं,
उन्हें बढ़ भरोसा दिलाए न केाई।

सुनो देष को दृश्टि देना ज़रूरी,
वही आज जज़्बा जगाए न कोई।