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समंदरी आँख / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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आह को पीर की झंकार कहा जाता है
राह को लक्ष्य का आधार कहा जाता है
समंदरी आँख! तू सरिता की तरह मत बहना
तुझको वैसे ही गुनहगार कहा जाता है।