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समंदर / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
ठहरे हुए पानी में
एक पत्थर मार कर किसी ने
पूरे समंदर को हिला दिया
या समंदर
खुद ही बहुत बेचैन था
रचनाकाल : 2005