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समकालीन प्रेम कविता का प्रारूप / तादेयुश रोज़ेविच / मंगलेश डबराल

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निश्चय ही सफ़ेद का
सबसे अच्छा वर्णन धूसर के ज़रिए होता है
चिड़िया का पत्थर के ज़रिए
सूरजमुखी के फूलों का दिसम्बर में

पुराने दिनों में प्रेम कविताएँ
शरीर का वर्णन किया करती थीं
अलाँ और फलाँ का वर्णन
उदाहरणार्थ पलकों का वर्णन

निश्चय ही लाल का वर्णन
धूसर के ज़रिए किया जाना चाहिए
सूरज का बारिश के ज़रिए
पोस्त के फूलों का नवम्बर में
होठों का रात में

रोटी का सबसे मार्मिक वर्णन
भूख का वर्णन है

उसमें एक नम छलनी जैसा केन्द्र रहता है
एक गर्म अन्तःस्थल
रात में सूरजमुखी
मातृदेवी साइबल का वक्ष पेट और जाँघें

पानी के झरने जैसा
एक पारदर्शी वर्णन
प्यास का वर्णन है
राख़ का वर्णन
रेगिस्तान है
उसमें एक मरीचिका की कल्पना होती है
बादल और पेड़ आईने में
प्रवेश करते हैं

भूख अभाव
और शरीर की अनुपस्थिति
प्रेम का वर्णन है
समकालीन प्रेम कविता का ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल