भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
समझदार चूहा / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
चूहा कुतुब मीनार घुमने आया,
बिल्ली मौसी से घबराया।
चूहा चूं-चूं करता
सरपट दौड़ा था,
बिल्ली मौसी को
पीछे छोड़ा था।
बिल्ली कुतुब मीनार
घुमने आयी थी,
कुत्ते की भौं-भौं से
बहुत घबरायी थी।
बिल्ली मौसी थक
हार के बैठ गयी,
वह पेड़ के नीचे
सुस्ताने लेट गयी।
देखो, खिसयानी बिल्ली
खम्बा नोचे है,
और चूहा लाल किला
घूमने की सोचे है।