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समझदार पत्नियाँ / महेश सन्तोषी

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बड़ी समझदार हैं वे पत्नियाँ, जो अपने पतियों के आगे
अपने पुराने प्रेमियों को ना जानती हैं, ना पहचानती हैं!
और निरे मूर्ख हैं वे मजनू, जो अपनी लैलाओं की याद
अपने कलेजे से लिपटाए हैं,
जिनके दिल से लैला-लैला की आवाजें आती हैं।

दुनियादारी बरतने में बड़ी समझदारी बरतती हैं औरतें,
एक-एक इंच फूँककर चलती हैं जब अपनी नई दुनिया बसाती हैं
आपने प्यार किया था, किया होगा, उससे शादी नहीं हुई?
इसलिए उसे बरबादी की सरहदों तक पहुँचाने की इज़ाजत दिल से ले ली?
दिल ने दे भी दी?

ज़िन्दगी एक ऐसी किताब है, जिसका पिछला सबक दुबारा नहीं पढ़ाया जाता,
हर अगले सफे पर छपी होती है एक सुबह नयी
क्या इतना घिनौना था आपके प्यार का छिपा चेहरा?
जिसे चाहा, उससे बदला लिया, चेहरे पर तेजाब डाल दिया
अकाल जान ले ली, ठगों जैसी फरेबी की!