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समझोतरी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
जावै
सुख
आयां
दुख
जायां
दुख
आवै
सुख
आ बां री
आपसरी में
समझोतरी
पण कोनी मानै
भोळो मन
भाजै
जातै सुख रै लारै
हू’र गैलो
कोनी दियो चावै
ज्यूं त्यूं दुख नै गेलो
कर’र झमेलो
करावै माजनै रो धेलो
ओ रोजीना रो खेलो !