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समझौता / चंद्र कुमार जैन
Kavita Kosh से
चीर हरण
सत्ता की द्रोपदी का
जाने कितने सालों से होता रहा है,
और मेरे देश का कृष्ण
कुंभकरण की तरह सोता रहा है !
अब मत ढूंढा कोई सावित्री या सीता
इस देश में
क्योंकि
प्रजा का रक्षक राम
अपने हाथों में
धनुष और बाण की जगह
घृण और घोटाला लिये फिरता है,
और उसका राम राज्य
सिर्फ अखबारों की सुर्खियों में जीता है !
उच्च आसन पर विराजमान इंद्र
हर दधीचि की अस्थियाँ मांगकर
वज्र बनाया करता है,
और दधीचि लोकहित के नाम पर
सैकड़ों बार मरता है !
सुना है
असुर संहारक वज्र धारक ने
असुरों से समझौता कर लिया है,
देवता अदालत में मुजरिम बन खड़े हैं
उसने चुपचाप अपना घर भर लिया है !